Hanuman Chalisa अर्थ सहित हिंदी में:- जैसा की आप सभी लोग जानते है कि हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित काव्य रचना है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसकी रचना अवधि भाषा में की है। Hanuman Chalisa In Hindi में तीन दोहें और चालीस चौपाई होती है तीनों दोहें स्तुति रूप में है।
हनुमान चालीसा के सम्पूर्ण रचना में श्री हनुमान जी के शौर्य और पराक्रम का वर्णन मिलता है। Hanuman Chalisa का नियमित रूप के साथ पाठ करने से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिलता है इसके अलावा उसके जीवन से सारे कष्टों का नाश होता है। कलयुग में हनुमान चालीसा को सबसे अधिक शक्तिशाली माना जाता है। इसलिए हम आपके लिए हनुमान चालीसा का पाठ लेकर आये है वो भी अर्थ सहित। जिसका नियमित रूप से पाठ करने से आप सारे कष्टों से निजात पा सकते है।
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Hanuman Chalisa In Hindi- श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित हिंदी में
हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बड़ा ही महत्व है। इस चालीसा को पढ़ते रहने से व्यक्ति के मन में साहस, आत्मविश्वास और पराक्रम का संचार होता है। Hanuman Chalisa को दुनिया में सबसे ज्यादा बार पढ़ी जाने वाली पुस्तिका माना गया है। Hanuman Chalisa Lyrics In Hindi
हनुमान चालीसा दोहा 1
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
हनुमान चालीसा दोहा 2
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 1
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 2
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 3
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 4
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 5
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 6
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 7
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 8
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 9
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 10
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 11
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 12
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 13
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 14
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 15
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 16
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 17
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 18
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 19
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 20
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 21
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 22
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 23
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 24
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 25
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 26
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 27
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 28
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 29
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 30
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 31
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 32
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 33
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 34
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 35
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 36
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 37
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 38
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 39
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
श्री हनुमान चालीसा चौपाई 40
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
श्री हनुमान चालीसा दोहा 3
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
Hanuman Chalisa का पाठ कैसे करें या कितने बार करें?
- सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें।
- लाल वस्त्र का आसन बनाकर उसमे भगवान श्री राम व् श्री हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को विराजित या स्थापित करें।
- इसके बाद श्री राम व् श्री हनुमान जी के सम्मुख स्वयं भी लाल वस्त्र धारण कर कुशा या ऊन के आसान में बैठे। ध्यान रहे पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा में मुहं करके बैठना है और पूजा आराधना करनी है।
- श्री राम व् हनुमान जी के सामने गाय के घी का दीपक जलाए, अगर गाय का घी नही है तो टिल के तेल या चमेली के तेल से भी दीपक जला सकते है।
- एक लोटा जल रखे और पहले भगवान श्री राम जी की पूजा करें उसके बाद श्री हनुमान जी की पूजा करें।
- श्री हनुमान जी के सामने सकाम से क ऍम तीन बार से लेकर 108 बार तक हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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निष्कर्स
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