आईए जानते है कि गोवर्धन पर्व क्यों मनाया जाता है?- अन्नकूट उत्सव मनाने का कारण क्या है? आपको बता दे कि अन्नकूट/गोवर्धन पर्व भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। यह ब्रजवासियों का मुख्य त्यौहार है यह पर्व दीपावली पर्व के अगले दिन मनाया जाता है।
इस दिन गोधन यानि गाय की पूजा की जाती है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है| यह पर्व उत्तर भारत, विशेषकर मथुरा क्षेत्र में बहुत ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

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गोवर्धन पर्व पूजा तिथि और शुभमुहूर्त – गोवर्धन पूजा कब है?
गोवर्धन की पूजा का मुहूर्त 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर प्रारम्भ होगा जो दिनांक 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा। तो आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को ही शुभ मुहूर्त है सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह की ही 8 बजकर 43 मिनट तक होगा।
- गोवर्धन पूजा:- बुधवार, 26 अक्टूबर 2022
- गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त:- सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह की ही 8 बजकर 43 मिनट तक
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ:- 25 अक्टूबर 2022 शाम 4 बजकर 18 मिनट
- प्रतिपदा तिथि समाप्त:- 26 अक्टूबर 2022 दोपहर 2 बजकर 42 मिनट
गोवर्धन पूजा | शुभमुहूर्त समय |
प्रातः काल पूजा | बुधवार, 26 अक्टूबर 2022 सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह की ही 8 बजकर 43 मिनट तक |
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गोवर्धन पर्व / अन्नकूट उत्सव क्यों मनाया जाता है?- पौराणिक कथा
विष्णु पुराण में गोवर्धन पूजा के महत्व का वर्णन मिलता है। बताया जाता है कि गोवर्धन पूजा का सम्बन्ध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए एक लीला रची थी। भगवान की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन गोकुल में लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे थे और हर्षोल्लास के साथ गीत गा रहे थे।
श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया, मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे है कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। माता यशोदा के जवाब पर कृष्ण ने फिर पूछा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं। तब यशोदा मां ने कहा कि, इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है और अन्न की पैदावार होती है, हमारी गायों को चारा मिलता है।
भगवान श्री कृष्ण बोले तो इस प्रकार से हमे गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, वहां लगे पेड़-पौधों की वजह से बारिश होती है इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहँकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
भगवान कृष्ण की बात मानकर लोगों ने इंद्र की पूजा करनी बंद कर दी और गोवर्धन पूजा करने लगे। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी। प्रलयकारी वर्षा देखकर सभी गोकुल वासी घबरा गए। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई। कृष्ण ने देखा तो वो इंद्र की मूर्खता पर मुस्कुराए और ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली पर उठाकर इंद्र का अहंकार नष्ट किया।
भारी बारिस का प्रकोप लगातार 7 दिन तक चलता रहा और भगवान कृष्ण ब्रजवासियों को उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे छाता बनाकर बचाते रहे। श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियन्त्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें। इन्द्र निरन्तर सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता।
तब ब्रह्मा जी ने इंद्र को बताया आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और ब्रह्मा जी के मुख से यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहँकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने को कहा। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से जाना जाता है। तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा और अन्नकूट हर घर में मनाया जाता है।
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गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव
गोवर्धन पूजा के मौके पर मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन किया जाता है। अन्न कूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है। कुछ स्थानों पर गोवर्धन पूजा के साथ ही गायों को स्नान कराने की उन्हें सिंदूर इत्यादि पुष्प मालाओं से सजाए जाने की परम्परा भी है इस दिन गाय का पूजन भी किया जाता है।
यह पर्व दीपावली पर्व के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन गोधन यानि गाय की पूजा की जाती है। इसलिए गौशालाओं में भी इस पर्व को मनाया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं।
अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लम्बी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है साथ ही दारिद्र्य का नाश होकर मनुष्य जीवनपर्यंत सुखी और सम्रध्द रहता है। कई मंदिरों में अन्न कूट उत्सव के दौरान जगराता किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की आराधना कर उनसे खुशहाल जीवन की कामना की जाती है।
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आशा करते हैं कि अब आप जान गये होंगे कि गोवर्धन पूजा कब है 2022, और गोवर्धन पर्व / अन्नकूट उत्सव क्यों मनाया जाता है। अगर आपको ये जानकारी पसंद आई है तो इसे सोशल मीडिया जैसे Whatsapp और Facebook आदि पर शेयर करें।