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Dussehra Kyu Manate Hai?- 2022 में दशहरा कब है?

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Dussehra Kab Hai- Dussehra Essay In Hindi 2022

दशहरा हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण और मायने रखने वाला त्यौहार है। इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रुप से बहुत ज्यादा है। भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह और भरोसे से मनाते है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है।

कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है।

इस दिन को उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें लोगों को बुराई पर अच्छाई का संदेश दिया जाता है। रावण के साथ- साथ इस दिन कुंभकर्ण और मेघनाथ के भी पुतले फूंके जाते है। नवरात्रि के पूरे नौ दिन रामलीला का कार्यक्रम चलता है और दशमी तिथी को रावण दहन किया जाता है। दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है।




हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दशहरे के पर्व को बहुत ही अहम माना जाता है, इस त्योहार को विजयादशमी भी कहा जाता है। दशहरे का त्योहार 10 दिनों तक चलता है और दसवें दिन यानि दशमी वाले दिन यह पर्व समाप्त होता है। दशहरा पूरे भारत में दशहरे का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन विभिन्न राज्यों में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ इस पर्व को मनाएं जाने की प्रथा है

 

Dussehra Kyu ManAate Hai In Hindi- Dussehra Kab Hai
Dussehra Kyu ManAate Hai In Hindi- Dussehra Kab Hai




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दशहरा क्यों मनाये है-Dussehra Kyu Manate hai- Dussehra Essay in Hindi 2022

शास्त्रों के अनुसार भगवान राम ने 10 दिनों तक अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए रावण ये युद्ध किया जिसमें वह पराजित हुआ, रावण ने सीता का अपहरण किया था। भगवान राम की यह जीत बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान पूरे भारत में अलग-अलग जगहों पर रामलीला और नाटकों का आयोजन किया जाता है। दशहरे से नौ दिन पहले नवरात्रि का पर्व होता है जिसमें लोग देवी दुर्गा की पूजा कर उपवास करते हैं।

दशहरा पर्व से जुड़ी कथाएं

  • राम की रावन पर विजय का पर्व
  • राक्षस महिसासुर का वध कर दुर्गा माता विजयी हुई थी
  • पांडवों का वनवास
  • देवी सती अग्नि में समां गई थी.

दशहरा के दिन के पीछे कई कहानियाँ हैं, जिनमे सबसे प्रचलित कथा हैं भगवान राम का युद्ध जीतना अर्थात रावण की बुराई का विनाश कर उसके घमंड को तोड़ना।

राम राज्य में दशहरा का महत्व:-

राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्नी का नाम सीता था एवम उनके छोटे भाई थे, जिनका नाम लक्ष्मण था. राजा दशरथ राम के पिता थे. उनकी पत्नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नगरी छोड़ कर जाना पड़ा. उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था।

रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी, लेकिन उसमे अपार अहंकार था. वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था. वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था. जिसे ख़त्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामावतार लिया था।

राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी ने राम का साथ दिया. इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया, भगवान राम ने 10 दिनों तक अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए रावण ये युद्ध किया जिसमें वह पराजित हुआ, इसलिए इस त्यौहार को विजयादशमी भी कहा जाता है। दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

महाभारत काल में दशहरा का महत्व:-

महाभारत युद्ध से पहले एक और महायुद्ध हुआ था जिसे अर्जुन ने अकेले ही लड़ा था। एक तरफ कौरवों की विशाल सेना थी और दूसरी तरफ अकेला अर्जुन। यह युद्ध विराट के युद्ध नाम से इतिहास में दर्ज है। अपने अज्ञातवश के अंतिम दिनों में अर्जुन ने यह युद्ध महाराज विराट के लिए लड़ा था जिनके राज्य में उन्होंने अपना अज्ञातवास बिताया था। कौरवों के असत्य पर यह पांडवों के धर्म की जीत थी। पांडवों के विजय के रूप में भी दशहरा को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

 

नाम दशहरा
अन्य नाम विजयादशमी, बिजोया, आयुध पूजा, दुर्गा पूजा
आरम्भ रामायण काल से
तिथि अश्विन दशमी
उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
अनुयायी हिन्दू, भारतीय
तारीख 5 अक्टूबर

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दुर्गा पूजा का इतिहास व महत्व-

देश के विभिन्न क्षेत्रों में दुर्गा पूजा उत्सव मनाने के विभिन्न रीति-रिवाज और परंपराएं हैं। कहीं-कहीं इसे व्होल के लिए मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के अंत में, देवी दुर्गा की मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित करते हैं।

इस त्योहार के पीछे तो कई पौराणिक कहानियां हैं। जैसे की भारत के कुछ हिस्सों में यह दिन उस दिन का संकेत देता है जिस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। इसीलिए नवरात्रि पर देवी दुर्गा के सभी नौ अवतारों की पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है कि देवी दुर्गा उन भक्तों के साथ पानी में डूब जाती हैं जो धर्म को बनाए रखने के बाद भौतिक दुनिया से देवी दुर्गा के प्रस्थान का संकेत देते हैं।

दूसरी पौराणिक कहानी यह है कि दक्षिण भारत में, दशहरा उत्सव मुख्य रूप से मैसूर, कर्नाटक में उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब देवी दुर्गा के एक अन्य अवतार चामुंडेश्वरी ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। क्या आपको पता हैं कि पूरा शहर रंगीन रोशनी से जगमगाता है और खूबसूरती से सजाया जाता है। वास्तव में देवी चामुंडेश्वरी के जुलूस ले जाने वाले हाथियों के परेड भी पूरे शहर में किए जाते है।

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2022 में दशहरा कब है- Dussehra Date and Time और शुभमुहूर्त

विजय दशमी का पर्व इस साल बुधवार, 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसके ठीक 20 दिन बाद यानी सोमवार, 24 अक्टूबर को दीवाली (Diwali 2022) का पर्व मनाया जाएगा।

दशहरा शुभ मुहूर्त:-

  • दशमी तिथि प्रारंभ – 4 अक्टूबर 2022 को रात 10 बजकर 51 मिनट
  • विजय मुहूर्त – 5 अक्टूबर दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से लेकर 2 बजकर 54 मिनट तक
  • अमृत काल- 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 33 से लेकर दोपहर 1 बजकर 2 मिनट तक
  • दुर्मुहूर्त- 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक।
  • दशमी तिथि समाप्त – 5 अक्टूबर 2022 को रात 09 बजकर 15 मिनट तक

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशमी तिथि 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 5 अक्टूबर दोपहर 12 बजे तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि होने के कारण 5 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

 

दशहरा की पूजा कैसे होती है?

उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में रावण और उसके पुत्र मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के विशाल और रंगीन पुतलों को आग लगा दी जाती है। पूरा वातावरण पटाखों की आवाज से भरा होता है। लोग और बच्चे रात में राम-लीला सहित मेला देखते है। राम लीला में वास्तविक लोगों द्वारा भगवान राम के जीवन की विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रदर्शन किया जाता है। हजारों पुरुष, महिलाएं और आस-पास के क्षेत्रों के बच्चे रामलीला मैदान में शो का आनंद लेने के लिए एकत्रित होते हैं।

दस दिन मंदिर के पुजारी भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने रामायण से मंत्रों और कहानियों का पाठ करते हैं। कहीं-कहीं राम लीला का बड़ा मेला कई दिनों या एक महीने तक लगाया जाता है। हिमाचल प्रदेश में, कुल्लू में विजयादशमी उत्सव को राज्य सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय त्योहार का दर्जा दिया गया है।

 

भगवान राम की आरती (Lord Rama Aarti)

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।

हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥

पहली आरती पुष्पन की माला।

काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

दूसरी आरती देवकी नन्दन।

भक्त उबारन कंस निकन्दन॥

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।

रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

चौथी आरती चहुं युग पूजा।

देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥

पांचवीं आरती राम को भावे।

रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

 

दशहरे पर इन चीजों को करने से बचें

  • किसी को बाल या नाखून नहीं कटवाना चाहिए।
  • कपड़े नहीं सिलने चाहिए।
  • प्याज और लहसुन सहित शराब और मांसाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • छात्रों को त्योहार के आखिरी दिन यानी दुर्गा पूजा के दिन पढ़ाई नहीं करनी चाहिए।

 

FAQ

दशहरा को विजयदशमी क्यों कहा जाता है?

दशहरा को विजयदशमी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह वह दिन है जब भगवान राम ने राक्षस राजा रावण पर विजय प्राप्त की थी। “विजयादशमी” शब्द का अर्थ है “विजय का दिन”।

दशहरा क्यों मनाये है?

शास्त्रों के अनुसार भगवान राम ने 10 दिनों तक अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए रावण ये युद्ध किया जिसमें वह पराजित हुआ, रावण ने सीता का अपहरण किया था। भगवान राम की यह जीत बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दशहरा कब है?

इस साल बुधवार, 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा

दशहरे के कितने दिन बाद दिवाली आती है?

त्योहार के दिन चंद्र चक्र द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, यही वजह है कि वे हर साल शिफ्ट होते हैं। इसलिए दिवाली दशहरे के 20 दिन बाद आती है।

 



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