हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बतायेगे कि Diwali Kyu Manate hai पूरी जानकारी हिंदी में, इस लेख में आपको दीपावली क्यों मनायी जाती है, दिवाली कब है, दिवाली कितने दिनों का त्यौहार है, 2022 में Diwali Kab Hai की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी|
दीपावली क्यों मनाते हैं दिवाली का क्या महत्व है-Diwali Essay In Hindi-Diwali Kyu Manate hai-दिवाली कब है-दिवाली कितने दिनों का त्यौहार है-दीपावली 2022 Date and Time-दीपावली पर निबंध हिंदी में-Essay on Diwali in Hindi-दीपावली का प्राचीन नाम क्या है?
Diwali क्यों मनाते हैं – 2022 में दीपावली कब है- Essay on Diwali in Hindi
ये सवाल शायद बहुतों के मन में ज़रूर से उत्पन्न हुआ होगा। लेकिन काफ़ी कम लोगों को इसके बारे में सठिक जानकारी होगी। दीपावली को कई नामों से सम्बोधित किया जाता है जैसे की दीपावली, दीपावली, दीवाली, दीपावली या रोशनी के त्योहार इत्यादि। दीपावली की उत्पत्ति संस्कृत के दीप (दीपक) और वली (पंक्ति) के शब्दों से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ है “रोशनी की पंक्ति”। इस पर्व को मिट्टी के दीये जलाकर मनाया जाता है।
भले ही दिवाली को मुख्य रूप से एक हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन यह दिन विभिन्न समुदायों में अलग-अलग घटनाओं का प्रतीक है। हर जगह, दीपावली आध्यात्मिक “अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान” का प्रतीक है।

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दीपावली क्यों मनाते हैं – Diwali Essay In Hindi 2022
दीवाली शरद ऋतु में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, भारत एक येसा देश है जिसको त्योहारों की भूमि कहा जाता है, और इसी कारण किसी न किसी त्यौहार का माहौल बना ही रहता है| इन्ही त्योहारों में से एक खास त्यौहार या पर्व दीपावली भी है जो दशहरा के ठीक 20 दिन बाद आता है|
दिवाली के त्योहार को दीप पर्व अर्थात दीपों का त्योहार कहा जाता है। इस त्यौहार को देश में ही नही बल्कि विदेश में भी बड़े धूम धाम से मनाया जाता है, लेकिन हम दीपावली क्यों मनाते है-दिवाली क्यों मनाई जाती है आखिर इसके पीछे क्या कारण है तो आईये आज हम आपको दिवाली से सम्बंधित कारण बताते है क्योकि इसके पीछे अलग-अलग कहानियां और अलग-अलग परम्पराए है, तो चलिए जानते है Diwali क्यों मनाई जाती है?
1. भगवान् श्री राम के वनबास से अयोध्या लौटने की ख़ुशी में:-
यह कहानी सभी देश वासियों को पता है कि हम दीपावली भगवान् श्री राम के वनबास से लौटने की ख़ुशी में मनाते है, जब भगवान् श्री राम अपने पिता के आदेश का सम्मान करते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनबास गये थे तब वहा पर माता सीता को दुष्ट रावन ने अपहरण कर लिया था|
तब भगवान् श्री राम ने सुग्रीव की वानर सेना और प्रभु हनुमान के साथ मिलकर दुष्ट रावण का वध किया था और माता सीता को छुड़ा लाये थे, तो उस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है, और जब श्री राम 14 वर्ष के वनबास के पश्चात् अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियो का हर्दय अपने प्रिये राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था, श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। तब से यह दिन दीपावली के नाम से जाना जाता है|
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2. पांडवो का अपने राज्य में वापस लौटना:-
आप सभी लोगो ने महाभारत की कहानी तो सुनी होंगी जब कौरवों ने मामा शकुनी की मदद से पांड्वो का सब कुछ छीन लिया था और पांड्वो को राज्य छोड़कर 13 वर्ष का वनबास काटना पड़ा था| जब पांचो पांडव 13 वर्ष बाद कार्तिक अमावश्या को वनबास से अपने राज्य लौटे थे तो राज्य के लोगो ने उनके लौटने पर खुशिया मनाई और दीप जलाये|
3. भगवान् श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का किया था वध:-
एक कथा के अनुसार येसा माना जाता है की जब भगवान् श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था द्वारिका की प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी तो द्वारिका की प्रजा ने दीप जलाकर उनका धन्यबाद किया था|
4. माता लक्ष्मी का स्रष्टि में अवतार:-
एक और परम्परा के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ था तो समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुयी थी, माता लक्ष्मी को धन और सम्रध्धि की देवी माना जाता है देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर उनकी वंदना की थी इसी कारण हम लोग भी प्रति वर्ष दीप जलाने के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी की भी पूजा करते है| यह भी दीपावली मानाने का मुख्य कारण है|
जो भी कथा हो, जो भी परम्परा हो एक बात तो निश्चित है कि दीपक को सत्य और आनंद का प्रतीक माना जाता है, क्योकि वह स्वं जलता है और दुसरो को प्रकाश देता है| भारतीय संस्कृति के अनुसार दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तको में दीपक को व्रम्हा का स्वरुप माना जाता है| धार्मिक पुस्तक ‘स्कंद पुराण’ के अनुसार दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ है। यज्ञ देवताओं और मनुष्य के मध्य संवाद साधने का माध्यम है। यज्ञ की अग्नि से जन्मे दीपक पूजा का महत्वपूर्ण भाग है।
नाम | दिवाली |
अन्य नाम | दीपावली |
आरम्भ | रामायण काल से |
तिथि | अश्विनी मास (अमांता) / कार्तिक मास (पूर्णिमांत), कृष्ण पक्ष, त्रयोदं तिथि |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
अनुयायी | हिंदू, जैन, सिख और कुछ बौद्ध |
पालन | दीया प्रकाश, पूजा, हवन, दान, घर की सफाई और सजावट, आतिशबाजी, उपहार, दावत और मिठाई |
तारीख | 24 अक्टूबर |
दीपावली कब है- 2022 Me Diwali Kab Hai
Diwali 2022 Date in India Calendar in Hindi: दिवाली 2022 में 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनायी जाएगी दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, दिवाली पर माता लक्ष्मी,कुवेर जी और श्री गणेश जी की पूजा की जाती है|
Diwali Date and Time 2022 और शुभ मुहूर्त:-
- दिवाली की तिथि: 24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 24 अक्टूबर 2022, सुबह 06:03 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त: अगले दिन 25 अक्टूबर 2022, 02:44 बजे
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 24 अक्टूबर शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त:- 24 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक
- अमृत काल मुहूर्त:- 24 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
- विजय मुहूर्त:- 24 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से 02 बजकर 21 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त:- 24 अक्टूबर शाम 05 बजकर 12 मिनट से 05 बजकर 36 मिनट तक
दिवाली कितने दिनों का त्यौहार है
दीपावली के 5 दिनों का महत्व
हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक चलता है। दक्षिण भारत और उत्तर भारत में इस त्योहार को अलग-अलग दिन और अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में दिवाली के 1 दिन पहले यानी नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। जबकि उत्तर भारत में यह त्योहार 5 दिन का होता है, जो धनतेरस से शुरू होकर नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होता है। तो चलिए जानते है इन पांच दिनों के बारे में संझिप्त में-
पहला दिन:- दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है, उत्सव के पहले दिन, घरों और व्यावसायिक परिसर को सजाया जाता हैं इसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं| धन और समृद्धि (लक्ष्मी) की देवी के स्वागत के लिए रंगोली द्वारा प्रवेश द्वार बनाए जाती है। इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे। तभी से इस दिन का नाम ‘धनतेरस’ पड़ा और इस दिन बर्तन, धातु व आभूषण खरीदने की परंपरा शुरू हुई।
दूसरा दिन:- दूसरे दिन नर्क चतुर्दशी होती है, कहानी के अनुसार इसी दिन नरकासुर इंद्र देव को हराने के बाद अदिति के मनमोहक झुमके छीन लेते हैं और अपने अन्त:पुर में देवताओं और संतों की सोलह हजार बेटियों को कैद कर लेता हैं। नर्क चतुर्दशी के अगले दिन, भगवान कृष्ण ने दानव नरकासुर का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने 16,100 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस दिन को लेकर मान्यता है कि महिलाओं ने अपने शरीर से गंदगी को धोने के लिए एक अच्छा स्नान किया था|
इसलिए, सुबह जल्दी स्नान की यह परंपरा बुराई पर दिव्यता की विजय का प्रतीक है। इस दिन सुबह जल्दी जागना और सूर्योदय से पहले स्नान करने की एक परंपरा है।
तीसरा दिन:- तीसरा दिन समारोह का सबसे महत्वपूर्ण दिन है तीसरे दिन को ‘दीपावली’ कहते हैं। दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है, जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। अंधियारी रात होने के बावजूद भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करते है,
छोटे छोटे टिमटिमाते दीपक पूरे शहर में प्रज्वलित होने से रात का अभेद्य अंधकार धीरे-धीरे गायब हो जाता है। इस दिन भगवान रामचन्द्रजी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे।
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गोवर्धन पर्व क्यों मनाया जाता है? अन्नकूट उत्सव का क्या महत्व है पौराणिक कथा
चौथा दिन:- समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है, चौथे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र की मूसलाधार बारिश के क्रोध से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था, तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा भी चली आ रही है।
पांचवा दिन:- इस दिन को भाई दूज और यम द्वितीया कहते हैं, भाइयों और बहनों के बीच प्रेम का प्रतीक दर्शाता है भाई दूज, पांच दिवसीय दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को अपने घर बुलाता है जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक कर भोजन कराती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है, भाई उन्हें उनके प्यार की निशानी के रूप में एक उपहार देते हैं।
इस दिन को लेकर मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने के लिए उनके घर आए थे और यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया एवं यह वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए पधारेंगे। साथ ही जो बहन इस दिन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करके भोजन कराएगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी। तभी से भाई दूज पर यह परंपरा बन गई।
दीपावली का महत्व
दीपावली प्रकाश का हिंदू त्योहार है। इसे रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत और बड़ी भारतीय आबादी वाले अन्य देशों में मनाया जाने वाला पांच दिवसीय त्योहार है। दीपावली बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है।
दीपावली हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हिंदुओं के लिए, यह दुर्गा पूजा के अंत का प्रतीक है, जो 10 दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो शक्ति या दुर्गा माता का सम्मान करता है।
सिखों के लिए, दीपावली उनके संस्थापक गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि के बाद एक महीने तक चलने वाले “मौन व्रत” नामक उनकी वार्षिक शोक अवधि के अंत का संकेत देती है।
जैनियों के लिए, दीपावली उनके इस विश्वास का प्रतीक है कि जब से उन्होंने इस पर ज्ञान प्राप्त किया है, तब से प्रत्येक जीव सभी कर्म कणों से मुक्त हो गया है।
धन (लक्ष्मी देवी) बहुत क्षणिक है और यह केवल वहीं रहती है, जहां कड़ी मेहनत, ईमानदारी और कृतज्ञता हो। श्रीमद भागवत में, वहाँ एक घटना के बारे में एक उल्लेख है जब देवी लक्ष्मी ने राजा बली का शरीर छोड़ दिया और भगवान इंद्र के साथ जाना चाहती थी, तब उन्होंने कहा कि वह केवल वहीं रहती है, जहां ‘सत्य’, ‘दान’, ‘तप’, ‘पराक्रम’ और ‘धर्म’ हो।
इस दिवाली हम सब प्रार्थना करे और आभारी महसूस करें। विश्व के हर कोने में समृद्धि हो और सभी लोग प्यार, खुशी और अपने जीवन में विपुलता का अनुभव करे।
FAQ
दीपावली की शुरुआत कब से हुई?
दीपावली की शुरुआत त्रेता युग में, अयोध्या से हुई थी। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए।
दीपावली का पुराना नाम क्या है?
दीपावली का पुराना नाम दीपोत्सव है। प्राचीनकाल में इसे दीपोत्सव के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है दीपों का उत्सव। हालांकि आज भी लोग दीपोत्सव के रूप में दिवाली को जानते हैं।
दीपावली को संस्कृत में क्या कहते हैं?
दीपावली को संस्कृत में दीपावली: सहस्रदीपं भवतं जीवनं सुखेना, संतोषेश, शांत्य आरोग्यश च प्रकाशयंतु कहते हैं।
दीपावली कब है?
24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार
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दोस्तों आपने इस लेख में जाना कि Diwali Kyu Manate hai, Diwali क्यों मनायी जाती है, दिवाली कब है, दिवाली कितने दिनों का त्यौहार है, दीपावली का क्या महत्व है की पूरी जानकारी हिंदी में| तो उम्मीद करता हूँ कि आपको ये लेख पसंद आया होंगा तो आप हमे नीचे कमेंट करके बता सकते है तथा इस पोस्ट को अपने जानने बालो के साथ जरूर शेयर करें|