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Cache Memory क्या होती है?- कैश मेमोरी कितने प्रकार की होती है? हिंदी में

Cache Memory Kya Hai In Hindi:- दोस्तों आप में से बहुत से लोगों को कंप्यूटर मेमोरी के बारे में पता होंगा लेकिन येसे बहुत से लोग है जिन्हें Computer Memory के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नही है। तो आज हम इस आर्टिकल में Computer Memory के एक और पार्ट के बारे में जानने वाले है जिसका नाम है कैश मेमोरी।

दोस्तों इससे पहले आप सभी लोगों ने Primary Memory और Secondary Memory के बारे में विस्तार से जाना था। आप में से जो भी लोग कंप्यूटर मेमोरी की जानकारी रखते है या कंप्यूटर की पढ़ाई कर रहे है उन सभी को ये पता होगा की कंप्यूटर की मेमोरी को दो श्रेणी में बांटा गया है पहला है प्राइमरी मेमोरी और दूसरी है सेकेंडरी मेमोरी।

Primary Memory के अंतर्गत RAM, ROM, Cache Memory आते है जिसे Temporary Memory भी कहा जाता है और Secondary Memory के अंतर्गत Hard Disk, SSD, Pan Drive Etc. आते है जिसे Permanent Memory भी कहा जाता है।

आज के इस आर्टिकल में हम प्राइमरी मेमोरी के अंतर्गत आने वाली Cache Memory के बारे में विस्तार से जानने वाले है। जैसे कि Cache Memory क्या है?, Cache Memory के उपयोग क्या है?, कैश मेमोरी कितने प्रकार होती हैं?, Cache Memory की आवश्यकता क्यों पड़ती है?, कैश मेमोरी की विशेषताएं और इतिहास क्या है? इसलिए आपसे आग्रह है की आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पूरा जरुर पढ़े।

कैश मेमोरी क्या है- Types of Cache Memory In Hindi
कैश मेमोरी क्या है- Types of Cache Memory In Hindi




कैश मेमोरी क्या होती है? ( What Is Cache Memory In Hindi )

Cache Memory बहुत ही तेज होती हैं यह एक बहुत ही High Speed Semiconductor Memory है जो CPU की स्पीड को फ़ास्ट कर देती है। इस मेमोरी में अधिकतर यानि Frequently इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम और निर्देश स्टोर किये जाते हैं ताकि CPU तेजी से कार्य कर सके। Cache Memory CPU और मुख्य मेमोरी के बीच स्थित होती हैं।

कैश मेमोरी Main memory और CPU के बीच में Buffer का काम करती है यानि CPU पहले से ही Cache Memory में स्टोर डाटा और निर्देश प्राप्त कर लेता हैं और कार्य के दोहराव से बच जाता हैं।

अगर सरल शब्दों में कहे तो कैश मेमोरी कंप्यूटर में बहुत ही छोटी अमाउंट में पाए जाने वाली एक ऐसी टेम्पररी मेमोरी होती है जो अक्सर प्रोसेसिंग के दौरान बार-बार उपयोग में आने वाले डाटा व् निर्देशों को अस्थायी रूप से स्टोर करके रखती है। इसलिए Cache Memory को Volatile Memory कहा जाता है।




कैश मेमोरी कंप्यूटर की सभी मेमोरी में से फ़ास्ट होती है यह कंप्यूटर में डाटा फ्लो होने के दौरान उत्पन्न होनेवाली Bottleneck को कम करने का काम करती है अर्थात Data Access Time को Reduce (कम) करने का काम करती है जिससे कंप्यूटर की स्पीड Increase होती है। जिस CPU के जितने Cache Memory के आकार होंगे वह उतने उच्च गति से चलेगा।

जब CPU किसी डाटा की Request करता है जिसका Instance कैश मेमोरी में पहले से मौजूद है अब उसे किसी कार्य के लिए निर्देश और डाटा प्राप्त करने के लिए प्राइमरी मेमोरी में नही जाना पडता हैं जिससे Main memory को एक्सेस करने का समय कम हो जाता है और प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ जाती है इसलिए CPU तेजी से कार्य करता हैं।

Cache Memory में इन डाटा और निर्देशों को Operating System द्वारा भेजा जाता हैं जिन्हे फिर CPU द्वारा इस्तेमाल किया जाता हैं कैश मेमोरी RAM से साइज़ में कम लेकिन कीमत में ज्यादा होती है। इस मेमोरी की Store Capacity Limited होती हैं अगर हम कैश मेमोरी के Response time की बात करे तो इसके लिए इसे बस कुछ Nanoseconds ही लगते है।

दोस्तों अभी तक आपने जाना कि Cache Memory Kya Hoti Hai In Hindi, तो आईये अब जानते है कैश मेमोरी का इतिहास क्या है? ( History of Cache Memory In Hindi ) कैश मेमोरी की शुरुआत कहाँ से हुई जानते है विस्तार से…

 

कैश मेमोरी का इतिहास ( History of Cache Memory In Hindi )

वर्ष 1980 में एक विचार आया कि छोटा किन्तु बहुत अधिक फ़ास्ट और Expensive SRAM का उपयोग किया जाए जिससे कि स्लो Main Memory की Performance को बढाया जा सके। यह विचार जोर पकड़ने लग गया कि धीमी गति की मैन मेमोरी (रैम) के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए तेज SRAM की एक छोटी राशि का उपयोग किया जा सकता है।

प्रारंभ में कैश मेमोरी CPU, चिपसेट के भाग नहीं होते थे यह प्रोसेसर से अलग लगाए जाते थे, और इनकी size 8kb से 128kb के बीच होती थी। कैश मेमोरी के शुरुआती उदाहरणों में वर्ष 1960 में एटलस 2 कंप्यूटर और आईबीएम सिस्टम/360 मॉडल 85 शामिल हैं। कैश मेमोरी का उपयोग करने वाले पहले CPU में कैश का केवल एक Level होता था।

L1 कैश 1976 में IBM 801 CPU के साथ शुरू हुआ था और 1980 के दशक के अंत में Main Memory का कॉम्पोनेन्ट बन गया। Intel 486 प्रोसेसर आने के बाद इंटेल ने 8kb की मेमोरी का उपयोग सीपीयू में Level 1 Cache के रूप में किया था और 256kb तक की Level 2 कैश मेमोरी का उपयोग किया गया।

पेन्टियम प्रोसेसर में यह कैश मेमोरी बढकर 512kb तक हो गयी थी और इंटरनल कैश मेमोरी को भी दो भागों में बाँट दिया था, पहला निर्देश के लिए और दूसरा डाटा के लिए।




सन 1995 में पहली Cache Memory बनाई गयी थी जो Processor के Same Clock Speed पर कार्य करती थी। इससे पहले की L2 ( Level 2 ) कैश मेमोरी बहुत Slow होती थी जिस वजह से यह System Performance को भी Slow करती थी। पहले कैश मेमोरी की संरचना कुछ येसी थी कि इसमें लिखा डाटा RAM पर भी उसी समय अपडेट कर दिया जाता था जिससे की डाटा के Loss ( खोने ) की समस्या को कम किया जा सके लेकिन इससे ऑपरेशन्स स्लो हो जाते थे।

Intel 486 Processor के आने पर Cache Memory को Write Back Architecture में बदल दिया गया जिससे कि RAM में डाटा एक निर्धारित समय के बाद ही अपडेट किया जाता है या येसा भी कह सकते है कि Data के Missing ( खोने ) होने की स्थिति होने पर ही RAM और Cache में रखा डाटा अपडेट होता है।

दोस्तों ये तो थी जानकारी कैश मेमोरी का इतिहास के बारे में, अगर अब कोई आपसे पूछे कि कैश मेमोरी का इतिहास क्या है? ( history of cache memory in hindi ) तो अब आप आसानी से बता सकते है। तो आईए अब जानते है कि कैश मेमोरी कैसे कार्य करती है? ( How does cache memory work with CPU )

 

कैश मेमोरी कैसे कार्य करती है? ( How Cache Memory Works In Hindi )

Cache Memory का मुख्य कार्य CPU के प्रोसेस टाइम को बढ़ाना होता है जिससे आपका Computer Fast Work कर सके और आप अपने काम को जल्दी से कर सके। अर्थात कैश मेमोरी डाटा फ्लो होने के दौरान लगने वाले समय को कम करने का काम करती है।

कैश मेमोरी में वो डाटा या इंस्ट्रक्शन पहले से ही अस्थायी रूप से स्टोर रहते है जो कुछ समय पहले उपयोग किया है या फिर यूजर जिस डाटा को बार बार उपयोग करता है। जिससे कैश मेमोरी में पड़ी डाटा या इंस्ट्रक्शन को CPU द्वारा Access करने में ज्यादा टाइम नहीं लगता है और जिससे आपका कंप्यूटर फ़ास्ट वर्क करता है। चलिए इसको थोडा विस्तार से समझते है।

Cache Memory Kya Hai In Hindi- कैश मेमोरी डायग्राम
कैश मेमोरी डायग्राम




जब भी आप कंप्यूटर में किसी डाटा या प्रोग्राम को चलाते है तो वह आमतौर पर हार्ड डिस्क में स्टोर होता है। अब होता ये है कि CPU हार्ड डिस्क से सीधे डाटा नही ले सकता क्योकि हार्ड डिस्क काफी स्लो होती है जिसके कारण CPU उस डाटा या प्रोग्राम को RAM में ढूंढता है क्योकि RAM हार्ड डिस्क की तुलना में काफ़ी तेज होती है।

लेकिन यहाँ पर भी एक समस्या है कि RAM भी CPU जितनी फ़ास्ट नही होती है जिससे CPU को उस डाटा को लेने में काफी समय लगता है इससे बचने के लिए ही कंप्यूटर में Cache Memory का उपयोग किया जाता है।

क्योकि CPU रैम या हार्ड डिस्क से डाटा लेने से पहले कैश मेमोरी को Read करता है यदि डाटा वहां मिल जाता है तो सीपीयू उस डाटा को तुरंत ले लेगा और यदि सीपीयू को कैश मेमोरी में डाटा नही मिलता है तो फिर उसे हार्ड डिस्क से डाटा लेना पड़ेगा। इस प्रकार समय की बचत के साथ साथ डिवाइस की स्पीड पर भी अधिक असर नहीं पड़ता है।

अगर इसकी कार्यप्रणाली को देखा जाये जोकि कुछ इस प्रकार है जब CPU को प्रोसेसिंग के टाइम किसी डेटा की जरुरत होती है तो CPU उस डाटा को सबसे पहले अपने L1 ( Level 1 ) कैश मेमोरी में ढूंढता है यदि CPU को वो डेटा Level 1 Cache Memory में नहीं मिलता तब CPU उस डेटा को L2 Cache मेमोरी में ढूंढ़ता है।

और यदि L2 कैश मेमोरी में भी डाटा नही मिलता तो उस डाटा को CPU L3 cache मेमोरी में ढूंढ़ता है और यदि वह डाटा उसे L3 में ही मिल जाता है तो आगे CPU को फॉरवर्ड कर दिया जाता है जिससे समय की काफी बचत होती है। इसे Cache Hit कहते है।

अगर डाटा L3 कैश मेमोरी में भी नही मिलता है तो उसे Cache Miss कहते है। तब CPU के सपोर्ट में लगी Memory Controller Chip ( यह एक Integrated Circuit होती है जो एक मेनेजर की तरह कार्य करती है ) से सीपीयू डेटा की मांग करता है। अब यह मेमोरी कंट्रोलर की जिम्मेदारी होती है कि CPU को Data ढूंढकर दे।




इसके लिए मेमोरी कंट्रोलर CPU द्वारा Data को आगे प्राइमरी मेमोरी यानि कि RAM में ढूंढता है। अगर रैम में वह डाटा मिल जाता है तो उस डाटा को आगे L3 Cache को फॉरवर्ड कर दिया जाता है फिर L2 से L1 और L1 से होते हुए डाटा सीपीयू को मिल जाता है। अब यदि वह डाटा RAM में भी नहीं होता है तब उसे Secondary Memory यानि की Hard Disk Drive में ढूंढता है।

ऐसे में यहाँ से Data उठाकर CPU को देने में काफी समय लग जाता है इसी कारण Hard Disk में भी Cache Memory का Concept यूज़ किया गया होता है जिससे CPU के द्वारा माँगा गया कोई भी डाटा को Hard Disk के प्लेटर पर ढूंढने के बजाय पहले उसे Hard Disk के कैश मेमोरी में ही ढूंढ लिया जाता है।

और यदि वह डाटा वहीँ मिल जाता है तो आगे RAM→L3→L2→L1 से होते हुए CPU को फॉरवर्ड कर दिया जाता है जिससे टाइम की बचत होती है और अंततः चाहे जितना भी समय लगे उस डाटा को प्लेटर से लेना ही है। अब आप सोच रहे होंगे जब इतना समय लगता है तो हमे इसका अनुभव या पता क्यों नही चलता है।

तो हम आपको बता दे कि डाटा प्रोसेसिंग के दौरान लगने वाले समय का हम अनुभव नहीं कर सकते क्योंकि ये सभी कार्य कुछ ही Milli Second की होती है फिर भी एक प्रोसेसर के लिए यह टाइम बहुत ही मायने रखता है क्योंकि अगर बड़े डाटा को Hard Disk Drive से लेना हो तो ये छोटा सा टाइम भी बड़ा हो जाता है जिससे Bottleneck जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसी समस्या से बचने के लिए Cache Memory का कांसेप्ट यूज़ किया गया होता है जिसे Caching (कैशिंग) कहा जाता है।

इसके साथ-साथ आपको ये भी पता होना चाहिए कि जब हम पहली बार कंप्यूटर शुरू करते है या पहली बार कोई एप्लिकेशन खोला जाता है तो कैश मेमोरी या रैम में डेटा उपलब्ध नहीं होता है। इस स्थिति में सीपीयू को हार्ड डिस्क ड्राइव से सीधे डेटा मिलता है।

एक बार कोई प्रोग्राम या डाटा ओपन हो जाता है तो बाद में आप जब भी उस प्रोग्राम या डाटा को ओपन करेगे तो CPU उस डाटा या प्रोग्राम को कैश मेमोरी या रैम से प्राप्त कर सकता है क्योकि रैम और कैश मेमोरी में वह डाटा या प्रोग्राम अस्थायी रूप से स्टोर हो जाता है जब तक की कंप्यूटर का पॉवर ऑफ न किया जाये। अगर एक बार पॉवर ऑफ हो गया तो वह डाटा या प्रोग्राम RAM और Cache Memory से Erase या हट जाता है।




दोस्तों हमें उम्मीद है कि अब आप जान ही गये होंगे कि Cache Memory Kya Hai In Hindi और कैश मेमोरी कैसे कार्य करती है? तथा इसके साथ-साथ कैश मेमोरी का इतिहास क्या है? हिंदी में ये भी जान गये है लेकिन अभी भी आपके मन में कुछ सवाल होंगे जैसे कि कैश मेमोरी कितने प्रकार की होती है ( Types of Cache Memory In Hindi ), कैश मेमोरी के लाभ और हानि क्या है?, कैश मेमोरी की विशेषता क्या है?, कैश मेमोरी कहाँ स्थित होंती है?, आपके इन सारे सवालों के जवाब हमने नीचे विस्तार से दिया है इसलिए आपसे आग्रह है कि इस आर्टिकल को पूरा अंत तक जरुर पढ़े।

 

कैश मेमोरी कितने प्रकार की होती है? Types of Cache Memory In Hindi

ज्यादातर सभी Devices में कैश मेमोरी का उपयोग किया जाता है कैश मेमोरी का मुख्य कार्य सीपीयू की गति और प्रदर्शन में सुधार करना है। CPU जिसे Microprocessor भी कहा जाता है उसके अंदर Cache Memory पायी जाती है जो प्रोसेसर को फ़ास्टली डेटा प्रदान कराती है।

कंप्यूटर में Cache Memory के कई विभिन्न Levels होते है यानि कि CPU में Core के आधार पर कैश मेमोरी होती है। CPU के अंदर जितनी Core होगी उन सभी Core के लिए अलग-अलग कैश मेमोरी होती है। कैश मेमोरी को मुख्यतः तीन Levels में विभाजित किया गया है जिसे L1, L2, L3 (L=Level) से जाना जाता है जिन्हें Cache Levels कहते है।

किसी किसी Server CPU में L4 भी पायी जाती है तथा इन सभी कैश मेमोरी की स्पीड भी अलग-अलग होती है। Cache Memory प्रोसेसर चिप में एम्बेडेड होती है जहाँ CPU/Processor द्वारा जरूरी Instructions अस्थायी रूप से स्टोर होते है। तो आइए Cache Memory के इन विभिन्न Levels के बारे में विस्तार से जानते है।

Level 1 या L1 Cache ( Primary )

L1 कैश को Primary Cache कहते है क्यूंकि ये प्रोसेसर चिप के साथ ही बनाई जाती है इसकी साइज़ सबसे कम होती है इसकी साइज 2 kb से 64 kb के मध्य होती है हालांकि कुछ पावरफुल CPUs में L1 Cache का Size लगभग 1mb तक होता है। यह कैश मेमोरी का पहला स्तर होता है CPU द्वारा दिए गए आवश्यक निर्देश सर्वप्रथम इसी मेमोरी में खोजे जाते है।

L1 कैश उस प्रकार के data को hold करती है जिसकी आवश्यकता सीपीयू को एक कार्य को करने में बार-बार पड़ती है यह सीपीयू की तरह ही गति से काम करने में समर्थ होती है। यह SRAM (Static RAM) से बनी हुई Cache है इसकी स्पीड L2 और L3 से तेज़ होती है तथा RAM से 100 गुना तेज काम करती है।




Level 2 या L2 Cache ( Secondary )

इस कैश मेमोरी को Secondary Cache Memory ( सहायक कैश मेमोरी ) या External Cache Memory के नाम से जाना जाता है। पहले L2 कैश Motherboard के साथ Embedded होती थी जिस कारण इसकी स्पीड पर इफ़ेक्ट पड़ता था लेकिन अब Secondary Cache Memory Processor Chip में लगी होती है।

इसकी साइज़ L1 Cache से ज्यादा होती है और स्पीड भी Main Memory ( RAM ) से तेज़ होती है लेकिन L1 से कम होती है इसकी साइज सामान्यतः 256 kb से 512 कब के मध्य होता है। यदि CPU द्वारा माँगा गया डाटा या निर्देश L1 Cache में नही मिलता है तो उसे L2 Cache में खोजा जाता है। इसलिए इसे सेकेंडरी कैश मेमोरी कहते है।

यदि CPU चार कोर वाला है तो हर CPU Core का अपना एक अलग Level 2 Cache मेमोरी हो सकता है या फिर सभी एक ही Level 2 Cache मेमोरी का उपयोग कर सकते है। Cache को CPU से कनेक्ट करने के लिए एक High Speed System Bus का उपयोग किया जाता है जिस कारण Main System Bus पर Traffic होने की स्थिति में भी प्रोसेसिंग पर कोई फर्क नही पड़ता है जिससे इसकी स्पीड धीमी नही होती है।

Level 3 या L3 Cache

L3 Cache Memory बाकि मेमोरी के मुकाबले धीमी होती है L3 Cache Memory ( Level 3 ) को L1 और L2 कैश की Performance को बढ़ाने के लिए बनाया जाता है ये मदरबोर्ड में RAM और Processor Module के L1, L2 कैश के बीच में लगी होती है। जब प्रोसेसर को किसी इनफार्मेशन की जरूरत होती है तो सबसे पहले L1 फिर L2 और लास्ट में L3 कैश में सर्च किया जाता है।

L3 cache साइज में अन्य दोनों मेमोरी की तुलना में बड़ी होती है इसका साइज 1 MB से 8 MB के मध्य होता है मगर इसकी स्पीड L1 Cache और L2 Cache से कम होती है लेकिन L3 Cache DRAM की गति से दोगुना स्पीड की होती है।

Multicore Processor में भले ही प्रत्येक core के लिये एक अलग Dedicated L1 और L2 Cache होता है लेकिन L3 Cache आपस में Shared होती है अर्थात एक ही L3 Cache Memory सभी कोर को Share की गयी होती है। पर फिर भी इसकी गति प्राइमरी मेमोरी से काफी तीव्र होती है।

 

कैश मेमोरी की विशेषताएं ( Features of Cache Memory In Hindi )

  1. Cache memory बहुत ही ज्यादा fast होती है प्राथमिक मेमोरी ( Primary Memory ) की तुलना में।
  2. इसमें डाटा अस्थायी रूप में स्टोर रहता हैं।
  3. कैश मेमोरी का Response टाइम कुछ Nano Seconds का होता है इसलिए ये बहुत ही फ़ास्ट काम करती है।
  4. कैश मेमोरी उन प्रोग्राम्स और निर्देश को स्टोर करती हैं जो प्रोसेसर द्वारा Immediately चाहिए होते है अर्थात इसमे अधिकतर इस्तेमाल होने वाले प्रोग्रामों और कार्यों के निर्देश स्टोर रहते हैं।
  5. इसकी स्टोर क्षमता सीमित होती हैं लेकिन Access Time बहुत ही कम होता है।
  6. यह कीमत में बहुत मंहगी होती है।
  7. Cache Memory का कांसेप्ट जिस भी स्टोरेज डिवाइस में यूज़ किया गया होता है उससे Data Fetch करने में टाइम कम लगता है।
  8. कैश मेमोरी की गति प्राइमरी मेमोरी ( RAM ) से 5 से 10 गुना अधिक होती है।
  9. यह CPU तथा Primary Memory के बीच एक तेज गति वाले बफर की तरह कार्य करती है।
  10. यह मेमोरी कम अमाउंट में रहते हुए भी कंप्यूटर को Bottleneck होने से बचाती है।




कैश मेमोरी के फायदे ( Advantages of Cache Memory in Hindi )

  • यह सीपीयू द्वारा बार-बार उपयोग किए जाने वाले सभी डेटा और इंस्ट्रक्शंस को स्टोर करता है जिससे CPU की परफॉरमेंस में बढ़ोतरी होती है।
  • प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी की तुलना में कैश मेमोरी काफी फ़ास्ट होती है।
  • कैश मेमोरी बाकी मेमोरी के मुकाबले बहुत तेजी से डाटा या निर्देश को रीड ओर राइट करती है।
  • यह Computer की Speed को Boost कर देती है जिससे समय की बचत होती है।

 

कैश मेमोरी के नुकसान ( Disadvantages of Cache Memory In Hindi )

  • कंप्यूटर बंद होते ही फाइल्स या प्रोग्राम जिनकी प्रोसेसिंग चल रही है का डाटा नष्ट हो जाता है अर्थात पॉवर सप्लाई न मिलने पर इसमें Stored Data मिट जाता है!
  • इसकी साइज़ सीमित होती है तथा कीमत में महंगी होती है!
  • इसकी स्टोरेज क्षमता काफी काम होती है!
  • ज्यादा फाइल्स इसमें सेव होने से कंप्यूटर स्लो हो जाता है।
  • यह डेटा को अस्थाई रूप से स्टोर करता है।

 

कैश मेमोरी कहाँ स्थित होती है?

मुख्य रूप से कैश मेमोरी कंप्यूटर के सीपीयू पर लगी होती है लेकिन कैश मेमोरी के विभिन्न प्रकार होने के कारण जैसे कि L1 Cache, L2 Cache और L3 Cache इनकी लोकेशन एक-दुसरे से अलग हो सकती है!

अधिकांश Modern Processors में L1 और L2 Cache प्रोसेसर core का हिस्सा होती है जिन्हें हम SRAM के नाम से जानते है जबकि L3 या तो प्रोसेसर में लगी होती या Motherboard में स्थित होती है। इस प्रकार हम Cache Memory की लोकेशन के आधार पर इन्हें Internal Cache और External Cache के नाम से जानते है!

 

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कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न ( FAQs )

कंप्यूटर में सबसे तेज मेमोरी कौन सी है?

कैश मेमोरी कंप्यूटर की सबसे तेज मेमोरी होती है जो डाटा या निर्देश को अस्थाई रूप से स्टोर करके रखती है!

आकार में सबसे छोटी मेमोरी कौन सी है?

आकार में सबसे छोटी मेमोरी किलोबाइट होती है!

कैश मेमोरी क्या है?

कैश मेमोरी एक हाई स्पीड Semiconductor कंप्यूटर मेमोरी है जिसका उपयोग CPU की स्पीड तथा परफॉरमेंस को बढ़ने के लिए किया जाता है! कैश मेमोरी कंप्यूटर में बहुत ही छोटी अमाउंट में पाए जाने वाली एक ऐसी टेम्पररी मेमोरी होती है जो अक्सर प्रोसेसिंग के दौरान बार-बार उपयोग में आने वाले डाटा व् निर्देशों को अस्थायी रूप से स्टोर करके रखती है। इसलिए Cache Memory को Volatile Memory कहा जाता है।

L1 कैश मेमोरी का दूसरा नाम क्या है?

L1 कैश मेमोरी का पहला स्तर होता है क्यूंकि ये प्रोसेसर चिप के साथ ही बनाई जाती है! CPU द्वारा दिए गए आवश्यक निर्देश सर्वप्रथम इसी मेमोरी में खोजे जाते है इसलिए इसे Primary Cache Memory के नाम से जाना जाता है!



 

निष्कर्ष

दोस्तों आज आपने जाना Cache Memory Kya Hai In Hindi और कैश मेमोरी कितने प्रकार की होती है? आपको हमारा लेख कैश मेमोरी क्या है? हिंदी में पसन्द आया होगा ! यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई भी सवाल या सुझाव हैं तो आप नीचे कमेंट करके हमे बता सकते है! तथा इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि उन्हे भी कैश मेमोरी के बारे में जानकारी मिल जाएं!

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