Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai? जानिए यम द्वितीय मनाने का कारण:- सबसे पहले आप सभी का इस ब्लॉग में स्वागत है, यहाँ आपको भाई दूज/भैया दूज या यम द्वितीय पर्व के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा। जैसे की आमतौर पर सभी के मन में ये सवाल जरुर आता है की Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai, भाई दूज और रक्षाबंधन में क्या अंतर है तथा यम द्वितीय मनाने का कारण क्या है?
इसके अलाबा अक्सर लोग इन्टरनेट पर सर्च करते रहते है कि भाई दूज की कहानी क्या है, भाई दूज/यम द्वितीय का क्या महत्व है या फिर भैया दूज की पौराणिक कथा क्या है। ये सारे सवालों के जबाव आपको यहाँ मिल जायेगे जिससे आपको कही और सर्च करने की जरुरत नही पड़ेगी। तो चलिए जानते है सबसे पहले भाई दूज क्यों मनाया जाता है?

Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai In Hindi | यम द्वितीय मनाने का कारण क्या है?
भाई दूज एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के बीच के बंधन के प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है। भाई दूज हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला रक्षाबंधन की तरह एक खास पर्व है भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है जो की दीपावली के दुसरे दिन मनाया जाता है। यह पर्व प्यार का एक शानदार उत्सव है और एक भाई और बहन का एक दुसरे के लिए सम्मान का प्रतीक है।
इस दिन बहन के द्वारा अपने घर में भाई का तिलक सम्मान कर भोजन कराने की परंपरा है इस दिन, बहनें अपने भाइयों के लिए एक स्वस्थ, सुखी और सुरक्षित जीवन की प्रार्थना करती हैं जो बदले में अपनी बहनों को अपना प्यार और देखभाल जताने के लिए उपहार भेंट करते हैं। माना जाता है इस दिन भाई यदि अपनी बहन के यहां भोजन करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है। रक्षाबंधन के बाद भैया दूज ही साल का एक येसा त्यौहार है जिसमे बहनों और भाइयो के स्नेह और पवित्रता को चिन्हित करता है।
शास्त्रों के अनुसार येसा माना जाता है की, जो भाई अपनी बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है और जो बहन पूरी श्रद्धा से अपने भाई को आदर सत्कार के साथ तिलक कर भोजन कराती हैं तो उन्हें अकाल मृत्यु का भय नही रहता है और दीर्घायु प्राप्त होती है। इसलिए Bhai Dooj हर साल दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है।
यम द्वितीय मनाने का कारण क्या है? भाई दूज की कहानी
यह कहानी सूर्यदेव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज और यमुना की है, यमुना अक्सर अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करती परन्तु यमराज हर बार इस बात को टाल देते ओत व्यस्त होने के कारण अपनी बहन के यहाँ नही जा पाते। कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीय को जब यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को खड़ा देखती है तो वो बहुत खुश और उत्साहित हो जाती है और अपने भाई का बड़े आदर-सत्कार के साथ आरती और तिलक करती है और स्नेहपूर्वक उनको भोजन कराती है।
अपनी बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव अपनी बहन से बोलते है की मागों जो वर मागना हो, तब बहन यमुना अपने भाई यमराज से कहती है की आप प्रतिवर्ष इस दिन को मेरे यहाँ भेजन करने आए तथा इस दिन को जो भी बहन अपने भाई को अपने हाथ से बना हुआ भोजन खिलाएगी और भाई का तिलक करेगी तो उसे म्रत्यु का भय न हो। यमराज अपनी बहन को वर देने के बाद यमलोक चले गये।
तब से मान्यता है की जो भाई आज के दिन पूरी श्रध्दा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नही रहता है। यही कारण है की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम द्वितीय पर्व मनाया जाता है और इसे भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है।
भाई दूज का क्या महत्व है इन हिंदी ?
भाई दूज हिन्दुओ का एक प्रमुख तथा प्रसिद्ध त्यौहार है जो अधिकतर हिन्दुओ द्वारा देश भाई में प्रमुखता से मनाया जाता है। भैया दूज का अपना विशिष्ट धार्मिक महत्व है इस त्यौहार में बहने विशेष तौर पर अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं ताकि जीवन के भाइयों की उम्र लंबी हो सके इस पूजा को काफी हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ भारत के प्रत्येक राज्य में मनाया जाता है।
इस तिथि को यमुना ने अपने भाई को घर बुलाकर भोजन कराया था, यदि इस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का भोजन ग्रहण करता है तो वह यमलोक की यातनाएं नही भोगता है तथा दोनों को अकाल मृत्यु का भय नही रहता है इसके साथ ही उनकी सारी मनोकामनाए पूरी होती है।
वैसे तो बहुत से ऐसे विशेष दिन या अवसर हैं जो भाई और बहन के बीच प्यार को मजबूत करने के लिए समर्पित हैं लेकिन Bhai Dooj का अपना अलग ही महत्व है, इस खास पर्व पर जहाँ बहने अपने भाई की लम्बी उम्र, पद प्रतिष्ठा के लिए भगवान से प्रार्थना करती है वही भाई भी अपनी बहन की खुशहाली की खुशहाली के लिए प्रार्थना करता है।
हिन्दू धर्म में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक स्वरूप दो त्यौहार मनाये जाते हैं एक है रक्षाबंधन और दूसरा भाई दूज है। जहां एक तरफ रक्षाबंधन में भाई बहन की जीवन भर रक्षा करने की वचन लेता है और बहन के अच्छे जीवन की कामना करता है वही दूसरी तरफ भाई दूज में बहन भी भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है।
शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल की द्वितीय तिथि पर मृत्यु के देवता यमराज ने अपनी बहन द्वारा किये गये आदर-सत्कार से प्रसन्न होकर वरदान दिया था, जिससे उस दिन नारकीय जीवो को यातना से छुटकारा मिला और वे तृप्त हुए। पाप मुक्त होकर वे सभी सांसारिक जीवन के बन्धनों से मुक्त हो गये, उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया या यमद्वितीया के नाम से विख्यात हुई।
हिन्दू धर्मग्रंथो में भैया दूज/Bhai Dooj से जुडी कई कथाओ का वर्णन है, यहाँ हम आपको शास्त्रों में बताई गई कथाओं में बारे में बताने वाले है जो की इस प्रकार है-
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यम और यमुना की कथा/कहानी
यमुना तथा यमराज भाई बहन थे. इनका जन्म भगवान सोइरी नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ थाआमतौर पर यह माना जाता है कि इस दिन मृत्यु के देवता भगवान यम अपनी बहन यामी या यमुना के निमंत्रण पर उनके घर गये थे। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत ज्यादा स्नेह करती थी, इस अवसर पर यमुना ने यमराज को स्वादिष्ट भोजन कराया उनकी आरती की और माथे पर तिलक करने के बाद उनके खुशहाल जीवन की कामना की।
इसके पश्चात् जब यमराज ने अपनी बहन से वरदान के लिए कहा, तब यमुना जी ने कहा आप हर साल इसी दिन को मेरे घर आया करो और जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसे मृत्यु का भय नही होगा। तब यम ने अपनी बहन को वचन दिया और घोषणा की जो भी इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा उसे लंबी आयु और धन-संपत्ति प्राप्त होंगी। इसी कारण इस दिन को ‘यम द्वितीया’ या ‘यमद्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है। उस दिन से ही भैया दूज/यम द्वितीय त्यौहार को आज तक मनाया जा रहा है।
श्री कृष्ण और नरकासुर की कथा/कहानी
शास्त्रों में एक और अन्य पौराणिक कथा का वर्णन मिलता है, इस कथा में बताया गया है की भाई दूज की तिथि पर ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था वध करने के पश्चात् वे द्वारिका नगरी लौटे थे। इस अवसर में भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेको दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था तथा देवी सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक करके उनकी लम्बी आयु की कामना की।
तब से ही हर वर्ष इसी तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, शास्त्रों के अनुसार इस दिन से ही Bhai Dooj के मौके पर बहने भाइयो के मस्तक पर तिलक कर उनकी दीर्घायु की प्रार्थना करती है और बदले में भाई अपनी बहन को उपहार भेट करता है।
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दोस्तों आशा करता हूँ आप सभी को हमारे द्वारा किये गए Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai, यम द्वितीय मनाने का क्या कारण है?, भाई दूज का क्या महत्व है इन हिंदी ? भाई दूज की कहानी/ पौराणिक कथा का यह पोस्ट पसंद आया होगा और आपने भाई दूज के इस पावन त्यौहार पर अपने प्रियजनों और मित्रों को हमारे द्वारा दी गयी जानकारी को साझा भी किया होगा।
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